सहजता थी, सादगी थी,बंदगी थी। ये सोशल मीडिया और इंटरनेट नहीं था तो ज़िन्दगी थी सहजता थी, सादगी थी,बंदगी थी। ये सोशल मीडिया और इंटरनेट नहीं था तो ज़िन्दगी थ...
मत टूटने दे तेरे विश्वास को, मत बुझने दे उम्मीद की आस को, मत टूटने दे तेरे विश्वास को, मत बुझने दे उम्मीद की आस को,
लम्हों को शरारतों से सजाकर स्मृति की संदूक में भर ले कल झंझावतों से लड़ना है। लम्हों को शरारतों से सजाकर स्मृति की संदूक में भर ले कल झंझावतों से ...
राष्ट्रभाषा हिन्दी पर कविता राष्ट्रभाषा हिन्दी पर कविता
मैं रहती हूँ जिस देश में , है उसका नाम भारत , मैं रहती हूँ जिस देश में , है उसका नाम भारत ,
कहाँ वो पत्थर की मूरत और जिंदगी दांव पर है। दूर बैठा कोई सोचे वो सवार दो दो नाव पर है! कहाँ वो पत्थर की मूरत और जिंदगी दांव पर है। दूर बैठा कोई सोचे वो सवार दो दो...